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जिले के विष्णुगढ़ प्रखंड के कुछ सुदूरवर्ती आदिवासी गांव आज भी विकास से कोसों दूर

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Bureau Report

विष्णुगढ़। जिले के विष्णुगढ़ प्रखंड के कुछ सुदूरवर्ती आदिवासी गांव आज भी विकास से कोसों दूर हैं। बरसात के दिनों में ऐसे गांव टापू बन जाते हैं। नाले-नदी जी का जंजाल बन जाती है। विष्णुगढ़ प्रखंड मुख्यालय से 8 से 10 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित गोविंदपुर पंचायत का परसातरी नाला पिछले महीने सुर्खियों में तब आया था जब एक प्रवासी श्रमिक की डेड बॉडी को एंबुलेंस गांव तक लेकर नहीं पहुंच पाई थी ।चारपाई के सहारे डेड बॉडी को 2 किलोमीटर की दूरी तय कर मृतक के परिजनों को ले जाना पड़ा था। प्रखंड और पंचायत मुख्यालय को गांव से जोड़ने वाला एक बरसाती नाला बाधक बना था। प्रखंड अंतर्गत खरकी पंचायत का दुमुहान नाला भी बरसात में स्कूली बच्चों के लिए जी का जंजाल बन गया है। प्रखंड अंतर्गत दो आदिवासी गांवों की व्यथा कथा सेम सेम है, जो आजादी के 78 सालों बाद विकास के लिए मुंह बाए हुए हैं । जहां विकास की रोशनी नहीं पहुंच पाई है।मूलभूत सुविधाएं आज भी वहां मय्यसर नहीं हैं।कच्ची सड़कें बरसात के पानी के साथ बह जाती हैं।नदी नालों में पुल नहीं हैं।नतीजतन ग्रमीणों को आवाजाही में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।छात्र- छात्राओं को जान हथेली पर लेकर बरसाती नदियों और नालों को पार कर स्कूल जाना पड़ता है।प्रखंड के खरकी पंचायत अंतर्गत का गांव है दुमुहान।दुमुहान को एक बरसाती नाला लम्बकीटांड़, पथलछिड़वा और ढोठवा से अलग कर देता है।जबकि इन गांवों को एक सड़क नागी होते हुए बनासो से जोड़ देती है।अगर दुमुहान को अलग करने वाले उस नाले पर पुल बन जाये तो यह गांव भी मुख्य बाजार बनासो से जुड़ जाएगा। ग्रामीणों की परेशानियां बहुत हद तक कम हो जाएंगी।वहीं इसका जुड़ाव डुबका, खरकी और गाल्होबार से हो जाएगा। दुमुहान के ग्रामीणों की परेशानियों के मद्देनजर खरकी पंचायत के पंचायत समिति सदस्य ने पुल की मांग की है। प्रखंड में दो आदिवासी सुदूर गांवों की व्याख्या कथा भर से ही गांवों की उपेक्षा मामले की ईति श्री नहीं हो जाती। प्रखंड के दर्जनों ऐसे गांव हैं जहां की सड़कें बदहाल है ।बदहाली के कारण बरसात के दिन महीनों में लोगों को अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ रही है। समस्याएं अखबार की सुर्खियां बटोर रही है । बावजूद जनप्रतिनिधि और सरकार के मुलाजिम मामले के प्रति फिक्रमंद नहीं हैं ।चुनाव का समय आने पर वोट के लिए गांव तक जनप्रतिनिधि सड़कों की बदहाली और पुल पुलिया के अभाव के कारण पहुंच भी नहीं पाते ।नतीजतन उनकी आंखों से बदहाल सड़कें और सुदूरवर्ती गांवों के नदी नाले ओझल होकर रह जाते हैं ।ऐसे में यहां यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर बदहाल टापू नुमा गांवों का विकास कैसे होगा?

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